नमस्कार मित्रों,
आजकल कलयुग में केवल इंसान
दिखावे की जिंदगी जी रहा है और कहते है
कि भगवान नही मिलते।
मेरा यह मुक्तक द्वापर त्रेता और कलयुग में कैसे
भगवान के दर्शन होते है और कितने भक्ति और
तपस्या करनी होती है तब भगवान मिलते है यही
बात मैंने एक मुक्तक में समाहित करने का
प्रयास किया है यदि आपको अच्छा लगे तो
कृपा लाइक कॉमेंट और शेयर अवश्य करें।
कई दिन महीने और साल लगते है तब
जाकर कोई सार्थक पंक्तिया लिख पाते है,
आपका आशीर्वाद मिलना चाहिए।
आपका अपना
कवि सुरेन्द्र "भोला"
सूरत 9727740048